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"रात की रेशमी चुप्पियाँ"

रात की चुप्पियों में कुछ तो था,
तेरे स्पर्श की गर्मी अब तक बाकी थी,
हवा में घुली वो गंध,
तेरे और मेरे बीच की कहानी बयां कर रही थी।

तेरी साँसें जब मेरी गर्दन से टकराईं,
तो शब्द बेमानी हो गए,
और वक्त वहीं ठहर गया—
जहाँ हमारी आँखों ने हज़ार बातों का मोल चुका दिया।

चाँदनी जैसे तेरी त्वचा पर गिरती थी,
मैंने खुद को खोया था वहाँ,
तेरी उंगलियों की सिहरन में,
मेरी रूह तक पिघलने लगी थी।

तेरा स्पर्श जैसे कविता हो कोई,
हर हरफ़ में वासना का एहसास,
पर उसमें प्रेम की मिठास भी थी,
वो संतुलन... केवल समझदार दिल ही समझ सकता है।

तेरे बालों की छांव में,
जब मैंने खुद को छुपाया,
तो महसूस हुआ,
कि वासना सिर्फ जिस्म की भूख नहीं होती,
कभी-कभी ये आत्मा की प्यास भी होती है।

तेरे होंठ जब मेरे होंठों से मिले,
तो ऐसा लगा जैसे दो किताबें खुलीं हों,
हर किस में एक कहानी,
हर कहानी में एक चाहत,
और हर चाहत में एक पागलपन।

तेरे कंधे पर सिर रख,
जब मैं तेरी धड़कनों को गिनता,
तो मेरी हर सोच, हर तर्क,
तेरे शरीर की भाषा में समा जाता।

तेरी कमर की लचक में,
कई छुपे हुए रहस्य थे,
जिन्हें मैंने धीरे-धीरे खोलना चाहा,
बिना किसी जल्दबाज़ी के,
जैसे कोई विद्वान किसी ग्रंथ को पढ़ता है।

हमारे बीच सिर्फ बदन नहीं थे,
हमारे बीच वो भी था,
जो अक्सर शब्दों से परे होता है—
एक मौन संवाद,
जिसे सिर्फ प्रेम करने वाले ही समझ सकते हैं।

तेरा थरथराता बदन,
मेरी बेचैनी को और भड़काता था,
और मैं एक साधु सा,
तेरी आग में तपना चाहता था।

रात लंबी थी,
मगर हम थके नहीं,
क्योंकि हमारी साँसों ने
हर लम्हे को ज़िंदा किया था।

तेरे सीने से सटी मेरी हथेली
जब धड़कनों से बात करती,
तो मुझे जीवन का हर अर्थ
तेरे शरीर में छुपा लगता।

हमारा रिश्ता
कोई ‘वन नाइट स्टैंड’ नहीं था,
ये वो यात्रा थी
जहाँ हर पड़ाव पर आत्मा भी भटकती थी,
और शरीर भी।

तेरी आंखों की गहराई में
जब मैंने डुबकी लगाई,
तो जाना,
कि वासना के इस समुंदर में भी
प्रेम की लहरें उठती हैं।

तेरे नग्न तन पर मेरा अधूरा मन
जब लिपटा,
तो एक सम्पूर्णता का एहसास हुआ,
जैसे ब्रह्मा ने मुझे
तेरे लिए ही रचा हो।

हमारे आलिंगन में
कोई अश्लीलता नहीं थी,
बल्कि एक पवित्रता थी,
जो सिर्फ वही जान सकता है
जो देह से आगे जाकर,
आत्मा को चूमा हो।

तेरी जांघों की गर्माहट में
एक सुकून था,
तेरे नाखूनों की खरोंच में
एक गवाही थी,
कि ये मिलन केवल क्षणिक नहीं,
बल्कि सदीयों का इंतजार था।

जब तू थककर मेरी बाहों में सो गई,
मैंने पहली बार
‘संतुष्टि’ को
तेरे चेहरे पर देखा।

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