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“रात की खामोशी में”

रात की खामोशी में जब तुम मेरी बाहों में आती हो,
हर लम्हा ठहर सा जाता है, हर साँस महक जाती है।
तेरे उरोज़ की गर्मी से जब मेरी हथेली टकराती है,
मन पिघल जाता है जैसे मोम, और वक़्त थम जाता है।

तेरी साँसों की सरगम जब मेरी गर्दन पर बजती है,
तो मेरी रूह तलक एक कंपन सा दौड़ जाता है।
तेरी आँखों की भाषा, तेरा मौन निमंत्रण,
शब्दों से परे, एक कविता बन जाती है।

तू जब अपनी जुल्फें खोलती है,
तो जैसे रात खुल जाती है मेरी आँखों में।
तू जब होंठों से कुछ नहीं कहती,
तो भी बहुत कुछ कह जाती है।

तेरे शरीर का हर मोड़ एक कविता है,
हर छुअन एक अध्याय है।
मैं तेरे साथ जब एकाकार होता हूँ,
तो जैसे ब्रह्मांड सिमट कर इस बिस्तर पर आ जाता है।

तेरी पीठ की रेखा जब मेरी उँगलियों की रेखाओं से मिलती है,
तो किस्मत की लकीरें भी ईर्ष्या करने लगती हैं।
तेरी उफनती साँसों में जो सुख है,
वो किसी तपस्वी की सिद्धि जैसा लगता है।

हम दोनों का मिलन कोई पाप नहीं,
ये तो प्रकृति का सबसे सुंदर सत्य है।
जिसमें देह नहीं, आत्मा भी मिलती है,
जहाँ काम नहीं, करुणा भी होती है।

हम बिस्तर पर जब एक-दूजे को पढ़ते हैं,
तो जैसे किताबें नहीं, आत्माएँ खुल जाती हैं।
तेरा बदन कोई भूगोल नहीं,
एक पूरा ब्रह्मांड है, जिसे मैं हर रात खोजता हूँ।

तेरे नयनों का वह भीगापन,
तेरे होंठों का कंपन,
तेरे पैरों की थरथराहट
और तेरे सीने की गति,
इन सबमें मैं अपना अस्तित्व पाता हूँ।

हम जब साथ होते हैं,
तो ये सिर्फ़ शारीरिक अनुभव नहीं,
ये आत्मा का उत्सव होता है।
जिसमें हर चुम्बन एक मन्त्र बन जाता है,
और हर आलिंगन एक साधना।

तू जब थक कर मेरी छाती पर सिर रखती है,
तो जैसे सारी कायनात वहीं आकर ठहर जाती है।
तेरे पसीने की खुशबू,
मेरे जीवन की सबसे मधुर गंध है।

तेरा मुस्कुराना उस पल के बाद,
मेरे सारे पाप धो देता है।
तेरे स्पर्श में जो गर्मी है,
वो मेरे ठंडे मन को जीवन देती है।

हमारी रातें सिर्फ़ रातें नहीं होतीं,
वो महाकाव्य बन जाती हैं।
जहाँ प्रेम की हर पंक्ति
देह की हदों से परे आत्मा को छू जाती है।

हमने प्रेम को देह में नहीं बाँधा,
हमने देह को प्रेम का मंदिर बना दिया।
हमने काम को वासना नहीं समझा,
हमने इसे पूजा की तरह निभाया।

तेरे साथ बिताए वे पल
मेरे जीवन की सबसे सच्ची प्रार्थना हैं।
जहाँ शब्द नहीं चलते,
बस साँसों की भाषा चलती है।


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