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Post-23 AAQ-01
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सुन, तुम्हारी त्वचा की खुशबू"
सुन,
तुम्हारी त्वचा की खुशबू में
शाम के सूरज की थकान है,
ताज़े फूले गुलाब की मुस्कान है,
और कुछ ऐसा भी है
जो शब्दों में नहीं कह सकता कोई कवि।
जब तुम मेरे पास आती हो,
हवा थम जाती है,
घड़ी की सुइयाँ कांपने लगती हैं
और समय एक सांस में
ठहर जाता है।
तेरी साँसों की गर्माहट
मेरे सीने पर गिरती है
जैसे बारिश की पहली बूँद
सूखी ज़मीन को चूमती है।
तेरी उंगलियाँ
जब मेरी पीठ पर कविता लिखती हैं,
मैं शब्दों से नहीं,
सिर्फ़ अहसास से भर जाता हूँ।
तेरा स्पर्श
कोई अपराध नहीं,
एक आराधना है,
जिसमें मेरा तन
तेरी पूजा की वेदी बन जाता है।
हम जिस चादर के नीचे
रात को खामोश होते हैं,
वहीं कुछ शब्द बिना बोले
बिस्तर की सिलवटों में
हमेशा के लिए दर्ज हो जाते हैं।
तू कोई वासना नहीं,
एक जिज्ञासा है –
जो हर बार मुझे
तेरे शरीर में नए ब्रह्मांड ढूँढने पर मजबूर करती है।
तू जब अपनी जुल्फें खोलती है,
मेरे विचार उलझ जाते हैं उसमें,
और मैं चाहता हूँ
कि उनमें खो जाऊँ,
जैसे कोई साधु ध्यान में।
तेरी आँखों में कुछ अधूरी कहानियाँ हैं,
जो मेरी उंगलियाँ पढ़ती हैं,
तेरे होठों पर वो सच है
जो शब्दों में नहीं
सिर्फ़ चुंबनों में व्यक्त होता है।
हमारी रातें
केवल शारीरिक नहीं होतीं,
वे आत्माओं का संगम होती हैं,
जहाँ दो इंसान
एक-दूसरे की परतों को खोलते हैं –
बिना किसी डर, बिना किसी झिझक।
तू मेरे लिए एक किताब नहीं,
एक मंदिर है,
जहाँ हर बार प्रवेश करते हुए
मैं अपना अस्तित्व छोड़ आता हूँ।
तेरी हर चीख,
तेरा हर कंपन,
तेरा हर खिंचाव
मेरी कविता में बदल जाता है –
एक ऐसी कविता
जो किसी किताब में नहीं,
सिर्फ़ हमारी रूहों में लिखी जाती है।
जब तू थक कर मेरी बाहों में
सो जाती है,
मैं अपने अस्तित्व को
तेरी साँसों में समेट लेता हूँ,
और वो सन्नाटा
जो हमारे बीच होता है,
वो शोर मचाता है मेरे भीतर।
वो लम्हा
जब हम एक-दूसरे को सिर्फ़ देख रहे होते हैं,
और कोई शब्द नहीं होता –
वहीं सबसे गहरी कविता जन्म लेती है।
हमें समझना नहीं,
बस महसूस करना आता है।
और यही हमारे रिश्ते की
सबसे सुंदर बात है।
मैं तेरे होंठों को
केवल चूमता नहीं,
उन्हें सुनता भी हूँ –
कभी सिसकियों में,
कभी हँसी में,
और कभी उस मौन में
जो सब कुछ कह देता है।
हर रात जब तू मुझे छूती है,
तब मुझे एहसास होता है
कि प्रेम कोई पवित्रता से दूर चीज़ नहीं,
बल्कि उसकी सबसे नग्न,
सबसे सुंदर अवस्था है।
हम एक-दूसरे के जिस्म को
जैसे-जैसे जानते जाते हैं,
हम आत्मा के करीब होते जाते हैं।
तेरा शरीर
सिर्फ़ वासना नहीं,
एक सृष्टि है,
जिसे मैं हर बार
नए प्रेम से रचता हूँ।
कई बार
तेरे शरीर के किसी हिस्से पर
एक चुम्बन रखते हुए
मैं खुद से कहता हूँ –
"यहीं तो स्वर्ग है,
बाक़ी सब भ्रम।"
तू जब मेरी बाँहों में टूटती है,
मैं खुद को बनता हुआ पाता हूँ।
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