Skip to main content

Featured

Post-87 JUFE-445

 JUFE-445

Post-03 Stepsister And Stepbrother

 Post-03 Stepsister And Stepbrother 





                    Download&Watchlink
                                   ⬇️⬇️
                              Download 





कशिश की परतें


रात की चुप्पी में, जब नींदें भी शर्माती हैं,
तेरी यादें धीरे से, दिल की चौखट छू जाती हैं।
उदास दीवारों पर, तेरा नाम लिखता हूँ,
हर आहट में बस तुझे ही महसूस करता हूँ।

जिस्म की बातें हैं, मगर रूह तक जाती हैं,
तेरे होठों की नरमी, अब तक तन्हाई में गूंजती हैं।
वो पहला स्पर्श, वो धीमी साँसे,
जैसे समय वहीं ठहर गया हो कुछ पल के वास्ते।

तेरे बिस्तर की सिलवटों में, मेरी बेचैनी दबी थी,
हर मुलाकात में कुछ अनकहा कहा सा लगा।
तेरी उँगलियों की सरसराहट, जैसे कविता बन गई,
हर चुम्बन एक गाथा थी, जो अधूरी रह गई।

तेरे साथ की रातें, बस रातें नहीं थीं,
वो तो जागती आँखों के ख्वाब थे,
तेरे सीने पर सर रखकर,
जैसे दुनिया की तमाम सच्चाइयों से परे हो गया।

ये रिश्ता जिस्म से शुरू हुआ,
मगर कब दिल की गलियों में उतर गया, पता ही नहीं चला।
तेरे आलिंगन की गर्माहट,
सिर्फ देह नहीं, आत्मा को भी पिघलाने लगी।

क्या यही प्रेम था?
या वासना की परछाइयों में सुकून ढूँढ रहे थे हम?
शायद दोनों का संगम था,
जहाँ एक पल में प्यास भी थी, और तृप्ति भी।

तेरे नज़रों की आग, और होठों की शराब,
मुझे बेसुध कर जाती थी हर बार।
मगर उस नशे में एक सुकून था,
जो शब्दों से परे, अनुभवों में रचा बसा था।

हर सुबह के बाद, वो संकोच भरा सन्नाटा,
जैसे कुछ अनकहा पीछे छूट गया हो।
तेरे जाने के बाद भी,
तेरी खुशबू तकिये में समाई रहती थी।

रातें लंबी हो चली हैं,
तेरे बिना भी अब नींद आ जाती है,
मगर वो तृप्ति… वो स्पर्श…
अब भी यादों में अपनी छाप छोड़ जाता है।

तू था, तो ज़िन्दगी में एक खुमार था,
अब तू नहीं, तो हर रात बस एक इंतजार है।
तेरे साथ जो पल जिए,
वो किसी किताब के पन्नों जैसे थे – बार-बार पढ़ने लायक।

कभी लगता है, अगर फिर मिलें,
तो क्या फिर से वही आग सुलगेगी?
या अब हम इतने अपरिचित हो गए हैं,
कि सिर्फ स्मृतियाँ ही बचेगीं?

मैंने तुझमें प्रेम भी देखा, वासना भी,
तू मेरी कमजोरी भी थी, और सबसे बड़ी ताकत भी।
तेरा स्पर्श मेरे लिए कविता था,
और तेरा साथ एक गहरी कहानी।

अब जब अकेला हूँ,
तब समझ आता है –
प्रेम सिर्फ मिलन नहीं होता,
वो बिछड़ने के बाद भी जीता है।

हर वयस्क रिश्ता सिर्फ शारीरिक नहीं होता,
कभी-कभी आत्माएँ भी लिपट जाती हैं।
और जब वो जुदा होती हैं,
तो शरीर नहीं, रूह तड़पती हैं 



Comments

Popular Posts