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18+Poetry
18+poetry
"तेरे साए में जब रात उतरती है,
तो जिस्म की सरगोशियाँ रूह तक पहुँच जाती हैं।
तेरी सांसों का हल्का सा टकराना,
जैसे लहरें किनारे से बातें कर रही हों।
तेरे होंठों की खामोशी,
मेरे होंठों की बेचैनी को और भी बेकाबू कर देती है।
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जब तू पास होता है,
तो वक्त ठहर जाता है,
उंगलियाँ तेरे बदन पर वो नक्श बनाती हैं,
जिन्हें मिटाने की ख्वाहिश भी नहीं होती।
तेरी गर्दन पे चूमते हुए
मैंने वक़्त को भी रुकते देखा है।
तेरे सीने पे सर रखकर
सुकून भी सिहर उठता है,
और तेरे आलिंगन में,
जैसे सारी कायनात मेरी बाहों में समा जाती है।
वो लम्हा... जब इश्क़ जिस्म की हदें पार करता है,
वो कोई गुनाह नहीं,
बल्कि दो रूहों का मुकम्मल मिलन होता है।
तेरी हर आहट से
मेरे वजूद में हलचल सी होती है,
तेरी प्यास बुझाते-बुझाते
मैं खुद तेरे इश्क़ में भीग जाता हूँ।
ये रात, ये तन्हाई,
और तेरा साथ —
बस यही काफी है ज़िंदगी को जी लेने के लिए।"
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